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बुलन्दी – bulandi

August 12, 2014 By Amit Leave a Comment

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इन्सान द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों से उसके जीवन स्तर में वृद्धि होना तथा समाज में उच्च कोटि की प्रतिष्ठा प्राप्त करना उसके जीवन की बुलन्दी होती है । संसार का प्रत्येक इन्सान बुलन्दी प्राप्त करके अपना जीवन उच्च स्तरीय निर्वाह करने तथा समाज में प्रतिष्ठित होने की अभिलाषा रखता है एवं अपना सम्पूर्ण जीवन बुलन्दी प्राप्ति के लिए संघर्ष करता है । जीवन में बुलन्दी प्राप्त करने के लिए अलग अलग प्रकार के कई विषय होते हैं जिनके द्वारा इन्सान अपना उच्च कोटि का जीवन स्तर निर्माण कर सकता है । मानसिक स्तर, देहिक कर्मठता, समाजिक रिश्ते एंव भौतिक संसाधन वगैरह कई महत्वपूर्ण विषय इन्सान के जीवन स्तर के निर्माण कर्ता होते हैं तथा उन विषयों द्वारा ही इन्सान अपने जीवन में बुलन्दियाँ प्राप्त करने में सक्षम होता है । इन्सान को निर्माण कर्ता विषयों का तथा उनकी कार्य शैली का ज्ञान होना भी आवश्यक है जिससे वह तीव्रता से अपनी अभिलाषा पूर्ण कर सके ।

जीवन की किसी भी बुलन्दी को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण इन्सान का मानसिक स्तर होता है तथा मानसिक स्तर में वृद्धि के लिए सर्व प्रथम सांसारिक एवं अपने विषय की सम्पूर्ण जानकारियों को बुद्धि द्वारा एकत्रित करना आवश्यक कार्य है जिसमे इन्सान का समय तथा परिश्रम सबसे अधिक लगता है । जितनी अधिक तीव्रता से जानकारियां एकत्रित होंगी सफलता भी उतनी शीघ्रता से कदम चूमेगी । एकत्रित जानकारियों को संतुलित एंव शांत मन तथा दृढ इच्छा शक्ति से विवेक द्वारा मंथन करके ज्ञान उत्पन्न किया जा सकता है तथा प्राप्त ज्ञान के बल से संसार के किसी भी कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है एवं किसी भी बुलन्दी को सरलता पूर्वक प्राप्त किया जा सकता है ।

मानसिक ज्ञान की वृद्धि के साथ इन्सान को देहिक दृढ़ता की भी अति आवश्यकता होती है क्योंकि किसी भी बुलन्दी प्राप्ति के लिए इन्सान को अतिरिक्त परिश्रम की आवश्यकता होती है क्योंकि कमजोर अथवा आलस्य पूर्ण शरीर अधिक परिश्रम नहीं कर सकता । देहिक कर्मठता के लिए इन्सान को अतिरिक्त भोजन अथवा अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता नहीं होती तथा अधिक व्यायाम वगैरह करना भी आवश्यक नहीं होता । सामान्य एंव संतुलित भोजन ही इन्सान को पूर्ण कर्मठ बना सकता है परन्तु कर्मठ बनने के लिए आलस्य का त्याग कर समय का आदर करना अनिवार्य है एवं हानिकारक पदार्थों तथा नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित होता है । इन्सान का अपनी काम वासना पर नियन्त्रण भी परम आवश्यक है क्योंकि काम के मद में शरीरिक विनाश के साथ समाजिक प्रतिष्ठा में भी हानि हो सकती है । एक सात्विक कर्मठ इन्सान ही अपने जीवन की किसी भी बुलन्दी को प्राप्त करने में पूर्ण सक्षम होता है ।

जीवन में उच्च कोटि का जीवन स्तर एंव समाजिक प्रतिष्ठा प्राप्ति के लिए इन्सान के समाजिक रिश्ते भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं । इन्सान किसी सेवा कार्य के पद पर हो या व्यापारी सबके जीवन में अडचनें अवश्य आती हैं तथा अडचनों को किसी के सहारे सरलता से दूर किया जा सकता है ऐसे समय पर समाजिक रिश्ते इन्सान को जीवन की सभी समस्याओं से जूझने में सहायता प्रदान करते हैं । समाजिक रिश्तों के सहयोग से इन्सान जीवन की सभी अडचनों को दूर करके अपनी मंजिल प्राप्त कर लेता है और समाजिक सहयोग ही इन्सान को बुलन्दियों पर पहुंचने में सहायक होता है । समाजिक रिश्तों को बनाए रखने के लिए इन्सान को सिर्फ अपने अच्छे आचरणों तथा कुशल व्यहवार की आवश्यकता होती है जिसे वह खुद पर नियन्त्रण रख्रते हुए प्रदर्शित कर सकता है ।

इन्सान का भौतिक स्तर भी बुलन्दी उपलब्ध करने में सहायक होता है विरासत में प्राप्त धन सम्पदा और संसाधन के बल पर जीवन के कार्य सरलता पूर्वक गतिशील हो जाते हैं तथा इन्सान अपनी इच्छानुसार किसी भी कार्य को सफल बना सकता है । अभावपूर्ण संसाधन इन्सान को सरलता से किसी भी कार्य में सफल होने में विघ्न उत्पन्न करते हैं परन्तु जो इन्सान विवेकशील एंव दृढ इच्छा शक्ति रखते हैं किसी भी प्रकार का भौतिक अभाव उनके मार्ग में विघ्न उत्पन्न नहीं कर सकता तथा उन्हें सफल होने से नहीं रोक सकता । जो इन्सान अभाव के होते जीवन में बुलन्दी प्राप्त करके ही दम लेते हैं समाज ने उन्हें सम्मानित करने के साथ उनके संघर्ष के द्रष्टांतों से समाज का मार्ग दर्शन हुआ ।

जीवन में बुलन्दी प्राप्त करने की अभिलाषा करना तथा बुलन्दी प्राप्त करने की कोशिश करना दो अलग अलग बातें हैं । अभिलाषा करना सरल कार्य है परन्तु साकार करने का प्रयास करना कठिन कार्य है बुलन्दी वही प्राप्त करता है जो बुलन्दी प्राप्त करने के प्रयास करता है । कुछ इन्सान प्रयास करने के उपरांत भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते क्योंकि उनकी परिस्थिति उनके विपरीत होकर उन्हें असफल कर देती है परन्तु वें इन्सान उनसे अच्छे हैं जिन्होंने बुलन्दी प्राप्त करने के लिए प्रयास ही नहीं किया । जो इन्सान सिर्फ कामनाएँ करते हैं तथा प्रयास नहीं करते वें कमजोर मानसिकता के बुजदिल इन्सान होते हैं जिन्होंने प्रयास किया और सफल नहीं हुए वें बुजदिल नहीं होते क्योंकि प्रयास करना आवश्यक है सफलता परिस्थिति के कारण प्राप्त भी हो सकती है तथा नहीं भी । कमजोर व दोहरी मानसिकता जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकती ।

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इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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