मोह = वह भंवर जिसमे फंसकर जीवन दुखों से भर जाता है।
लोभ = वह तृष्णा जो सुख शांति व सब्र का नाश कर देती है।
काम = वह अग्नि जो बुद्धि, आत्मा, व शारीर को जलाकर जीवन नरक बना देती है।
अहंकार = वह दलदल है जिसमे फंसकर मित्रों व शुभचिंतकों का साथ छूट जाता है।
क्रोध = ऐसा अजगर जो बुद्धि, व्यवहार, और आचरण को निगल जाता है।