
किसी विषय या वस्तु की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करके उसे उचित प्रकार से संचालित करने का तरीका जान लेने को विद्या कहते हैं । संसार में असंख्य विषय एंव वस्तुएं हैं तथा सभी को जानने की अपनी विभिन्न प्रकार की विद्याएँ हैं जिस भी विषय की जानकारी प्राप्त करनी हो उसकी अपनी पृथक पुस्तक उपलब्ध होती है । इन्सान को संसार में जीवन यापन के लिए किसी विद्या का सीखना अनिवार्य होता है क्योंकि विद्या के बल पर ही इन्सान जिस विषय में पारंगत होता है उस विषय में कार्यरत होकर धन प्राप्त कर सकता है तथा धन के द्वारा ही जीवन जीने के संसाधन प्राप्त हो सकते हैं ।
जीवन में जितना आनन्द प्राप्त करने की कामना होती है उतना अधिक धन प्राप्त करना भी आवश्यक होता है घर, वाहन, संसाधन, साजो सामान सभी धन के द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं तथा धन प्राप्ति के दो प्रकार के साधन होते हैं । पहला साधन बुद्धि बल के द्वारा जिसे शिक्षा अर्थात विद्या प्राप्त करके उपार्जन किया जा सकता है तथा दूसरा शरीरिक बल द्वारा जो शरीरिक परिश्रम करके एकत्रित किया जा सकता है । शरीरिक बल के द्वारा मजदूरी करके सीमित आय प्राप्त होती है जो जीवन को व्यतीत करने में सीमित सुख ही प्रदान कर सकती है । परन्तु बुद्धि बल से आय प्राप्त करने की कोई निश्चित सीमा नहीं होती जितना अधिक बुद्धि का प्रयोग करो धन भी उतना ही अधिक प्राप्त होता है जो जीवन को आनन्द मय बना देता है ।
बुद्धि के विकास के लिए विद्याएँ प्राप्त करना आवश्यक है क्योंकि बिना विद्या बुद्धि विकास नहीं करती है । सिर्फ किसी पुस्तक को पढकर प्राप्त की गई विद्या से जीवन में उन्नति नहीं होती जब तक विषय की जड़ तक पहुंच कर उसकी पूर्ण जानकारी व उसका पूर्ण अनुभव प्राप्त न हो जाए तब तक कोई भी इन्सान उस विषय का विद्वान् नहीं कहलाता एंव उसे धन भी सीमित ही प्राप्त होता है । किसी भी विषय में महारथ हासिल करने पर उसका विशेषज्ञ बनकर बहुत अधिक मात्रा में सम्मान व धन प्राप्त होता है जो इन्सान विद्या प्राप्त कर कार्यरत होकर अपना जीवन सुचारू रूप से चला रहे हैं वें सभी साधारण मनुष्य की श्रेणी में आते हैं।
कुछ इंसानों ने एक से अधिक विद्याएँ प्राप्त कर उनके द्वारा विषयों की कार्यशैली में बदलाव कर उन्हें अग्रणी बनाया जिससे समाज ने उन्हें सम्मानित किया तथा वें संसार के लिए महत्वपूर्ण कहलाए । जो इन्सान विद्या को महत्वपूर्ण ना समझकर उसकी अनदेखी करते हैं उन्हें कुछ तथ्यों को जानना बहुत आवश्यक है । विद्या प्राप्त करने की समय सीमा होती है जिसकी अनदेखी करने पर जीवन भर पछताना पड़ता है क्योंकि समय व उम्र के पश्चात समाजिक शर्म भी विद्या प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है । विद्या प्राप्त के समय करी गई मस्ती इन्सान को सम्पूर्ण जीवन तडपाती है क्योंकि विद्या हीनता के कारण जीवन में आय और सम्मान दोनों ही अल्प मात्रा में प्राप्त होते हैं और जीवन यापन में कठिनाई उत्पन्न होती है ।
जीवन भर इन्सान विद्यार्थी रहता है उसे संसार में सीखने के लिए हमेशा कुछ नया प्राप्त होता है । आदिकाल से जितनी भी वस्तुएं हैं उनका निर्माण इन्सान द्वारा ही हुआ है तथा उन्ही वस्तुओं एंव उनसे सम्बन्धित विषयों की जानकारी व उनके अनुभव सविस्तार पुस्तकों से प्राप्त होते हैं जिन्हें विद्या के रूप में हम ग्रहण करते हैं । जिन पुस्तकों व वस्तुओं का निर्माण इंसानों ने किया उन्हें पढने और सीखने में हम क्यों पिछड़ रहे हैं इसका कारण ज्ञात करना आवश्यक है । विद्या प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होने का सबसे बड़ा कारण मन का भटकना है अर्थात एकाग्रता की कमी । जैसे पसंदीदा वार्तालाप या कोई कहानी या पसंद आने वाला चलचित्र सुनकर या देखकर याद रहता है उसी प्रकार विद्या प्राप्त करते समय यदि ध्यानपूर्वक पढ़ा जाए या सीखा जाए तो हमेशा के लिए याद हो जाता है ।
मन को शांत करके तथा विद्या का महत्व समझकर बुद्धि का प्रयोग किया जाए तो मस्तिक प्राप्त जानकारियों को सदा संभाल कर तथा एकत्रित करके रखता है । विद्या किसी भी प्रकार की हो सदा महत्वपूर्ण होती है उसको धन की कीमत से आंकना मूर्खता है । संसार में अनेकों प्रकार की विद्याएँ हैं जहाँ पर भी एंव जैसे भी प्राप्त हो विद्या ग्रहण करना सबसे उचित निर्णय होता है । जिन इंसानों ने विद्या को सम्मान दिया संसार ने उन इसानों को सदा सम्मान दिया है । वर्तमान समय में विद्या व्यापार की तरह मूल्य देकर प्राप्त होती है इसलिए जो विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति के समय आलस्य अथवा आनाकानी करता है वह उस मूर्ख की तरह है जो बाजार से मूल्य देकर भी सामान लेकर नहीं आता ।