जो कार्य अपेक्षा के विपरीत किया जाए तथा हानिकारक हो वह धोखा कहलाता है । किसी की असावधानी का लाभ उठाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना धोखा है । किसी को भावनाओं के भंवर में फंसाकर स्वार्थ सिद्ध करना या किसी प्रकार का अनैतिक व नाजायज लाभ उठाना धोखा करना है । किसी का बौद्धिक शोषण करके लाभ कमाना या स्वार्थ सिद्ध करना धोखा कहलाता है । धोखा अर्थात दूसरों को मूर्ख बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना है चाहे वह किसी भी प्रकार किया जाए अपना लाभ तथा दूसरों की हानि करना है । धोखा करने के अनेक प्रकार हैं परन्तु धोखे का आरम्भ सदैव असावधानी से होता है । विश्वासघात, बेवफाई, ठगी, षड्यंत्र जैसे अनैतिक कार्य सभी धोखे की श्रेणी में आते हैं । धोखा किसी एक को भी दिया जा सकता है तथा अधिक इंसानों अर्थात सामूहिक रूप से भी किया जाता है । धोखा करने वालों में एक इन्सान द्वारा भी धोखा किया जाता है तथा कई इन्सान मिलकर भी सामूहिक रूप से धोखा कर सकते हैं ।
धोखा देने का सबसे पीड़ादायक एवं घ्रणित रूप विश्वासघात होता है । विश्वासघात अर्थात विश्वास की हत्या । साधारण धोखा कोई भी कर सकता है परन्तु विश्वासघात सिर्फ वह कर सकता है जिस पर विश्वास होता है । विश्वास की हत्या होने से जो पीड़ा इन्सान के मन को होती है वह साधारण धोखे से बहुत अधिक होती है । विश्वासघात कोई अपना करता है तो पीड़ा और अधिक बढ़ जाती है । पराया इन्सान विश्वासघात करने के लिए सर्वप्रथम अपना विश्वास कायम करता है तथा विश्वास जब अधिक बढ़ जाता है वह किसी भी प्रकार का धोखा करने में सक्षम होता है । विश्वास अपने पर हो या पराये पर जब अधिक बढकर अन्धविश्वास बन जाता है तब विश्वासघात अवश्य होता है । अन्धविश्वास के अंधेपन का लाभ किसी भी इन्सान में लोभ उत्पन्न कर देता है इसलिए विश्वास को अन्धविश्वास बनने से रोकना अनिवार्य होता है ।
बेवफाई धोखे का सबसे घ्रणित रूप है । साथ निभाने एवं सुख दुःख बाँटने के कार्य को वफादारी कहा जाता है । वफादार के प्रति मन में प्रेम उत्पन्न होना स्वाभाविक प्रकिर्या है परन्तु वफादार जब अधूरा साथ देकर भाग जाता है या साथ छोडकर धोखा देता है उसे बेवफाई कहा जाता है । बेवफाई इन्सान के प्रेम को घृणा में परिवर्तित कर देती है । वफा की श्रेणी में गृहस्थी एवं मित्रगण आते हैं जो धोखा देकर बेवफा बन जाते हैं । गृहस्थी में स्त्री हो या पुरुष एक जीवन साथी अपने दूसरे जीवन साथी को धोखा देता है । सम्पूर्ण जीवन साथ निभाने वाले जब धोखा देते हैं तब इन्सान को अपना जीवन भी भार लगने लगता है । जिसके परिणाम स्वरूप अधिकतर हत्या करने अथवा आत्महत्या करने जैसे घ्रणित कार्य भी किये जाते हैं । बेवफाई का कारण असंतुष्टि होती है । यदि जीवन साथी किसी प्रकार से असंतुष्ट होता है तथा उसे किसी दूसरे की तरफ आकर्षण उत्पन्न हो एवं संतुष्टि का अहसास हो तो बेवफाई करना निश्चित हो जाता है । मित्र भी असंतुष्ट होकर ही साथ छोड़ते हैं बेवफाई का मुख्य कारण असंतुष्टि एवं आकर्षण से सम्बन्धित है इसलिए जीवन साथी हो या मित्रगण उनकी संतुष्टि का ध्यान रखना आवश्यक है तथा अन्य किसी आकर्षण से भी सावधान होना आवश्यक है ।
ठगी धोखा करने की ऐसी श्रेणी है जिसमे ठगी करने वाला इन्सान दूसरों को मूर्ख बना कर लूटता है । ठगी एक प्रकार से इन्सान का बौद्धिक शोषण है । ठगी करने वाले इंसानों की बुद्धि तीव्र नकारात्मक किर्याशील होती है जिससे वह अपने शिकार को सरलता से फंसा लेते हैं । ठगी के शिकार इन्सान बुद्धिमान होकर भी लुट जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि में नकारात्मक सक्रियता ना के बराबर होती है । ठग ऐसा शिकार तलाशते हैं जो सीधा सादा परन्तु लोभी प्रवृति का होता है जिसे किसी भी प्रकार का लोभ दिखाकर फंसाया जा सकता है । ठग संगठन में मिलकर कार्य करते हैं परन्तु शिकार के समक्ष आवश्यकता अनुसार प्रस्तुत होते हैं बाकि साथी गुप्त तरीके से कार्य करते हैं । इन्सान ठगी का शिकार अपने लोभ या स्वार्थ पूर्ति हेतु होता है। यह ऐसा धोखा है जिसका शिकार इन्सान लुटने के पश्चात अपनी मूर्खता याद करके पछताता रहता है ।
धोखे का सबसे भयंकर रूप षड्यंत्र होता है क्योंकि षड्यंत्र द्वारा धन, सम्पदा व भूमि हडपने से लेकर हत्या करने जैसे अपराध तक किए जाते हैं । अपने से लेकर पराये तक कोई भी इन्सान षड्यंत्रकारी बन सकता है । षड्यंत्र के कारण भी अनेक होते हैं जैसे लोभ, स्वार्थ. ईर्षा. घृणा या किसी प्रकार की अपराधिक मानसिकता होती है । षड्यंत्र धोखा देने की धीमी परन्तु जटिल प्रकिर्या है जिसमे दिन, सप्ताह, महीनों से लेकर वर्षों तक कितना भी समय लगे षड्यंत्रकारी चुपचाप गुप्त तरीके से अपनी साजिश को अंजाम देता रहता है । अधिकतर षड्यंत्र के शिकार इन्सान को जानकारी प्राप्त होने तक वह लुट चुका होता है अथवा बिना जानकारी मारा जाता है । षड्यंत्रकारी अपने शिकार की दिनचर्या, आदत तथा स्वभाव की गहन समीक्षा करके अपने कार्य की रुपरेखा बनाता है ताकि अपने कार्य को उचित प्रकार अंजाम दे सके ।

धोखा किसी भी प्रकार का हो सरल या कठिन इन्सान की असावधानी के कारण होता है । धोखे से बचना कठिन कार्य नहीं है इसके लिए सर्वप्रथम सावधानी आवश्यक है तथा धोखे के कारण एवं उसकी प्रकिर्या को समझना भी आवश्यक है । विश्वासघात होने का कारण अन्धविश्वास है इसलिए विश्वास किसी अपने से करो या पराये से सावधानी आवश्यक है । बेवफाई से बचने के लिए जीवन साथी के स्वभाव में परिवर्तन व असंतुष्टि को समझना आवश्यक है तथा मित्रों की बेवफाई के लिए उनके स्वभाव के परिवर्तन का ध्यान रखना अनिवार्य है । ठगी सदैव किसी प्रकार का प्रलोभन दिखाकर करी जाती है इसलिए जब कोई किसी प्रकार के प्रलोभन का आकर्षण उपलब्ध करवाता है तो उसकी गहन समीक्षा करने के साथ यह समझना भी आवश्यक है कि कोई भी इन्सान बिना स्वार्थ किसी का भला नहीं कर सकता । जब कोई अपना या पराया अधिक मधुरता से तथा बनावटीपन से व्यवहार करता है तो सावधानी आवश्यक हो जाती है क्योंकि यह किसी प्रकार के षड्यंत्र का इशारा होता है । दूसरों के स्वभाव पर ध्यान देने से धोखे से सरलता से बचा जा सकता है । जब भी किसी के स्वभाव में किसी प्रकार का परिवर्तन आता है तो उसकी मानसिकता किसी ना किसी प्रकार से विचलित होती है वह चाहे परेशानी में हो अथवा किसी प्रकार का षड्यंत्र कर रहा हो । सावधानी एवं सतर्कता सबसे बड़ी सुरक्षा है ।
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