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ज्योतिष

August 12, 2014 By Amit Leave a Comment

भविष्य में होने वाली घटनाओं तथा कार्यों की जानकारी प्राप्त करने की विद्या को ज्योतिष कहा जाता है । ज्योतिष के मुख्य दो आधार हैं नक्षत्र ज्ञान एंव सामुद्रिक शास्त्र । ज्योतिष शास्त्र के जानकारों द्वारा कई प्रकार की विधियों से भविष्य की जानकारियों का पता लगाने का प्रयास करा जाता है परन्तु नक्षत्र ज्ञान व सामुद्रिक शास्त्र के अतिरिक्त सभी विधियां अनुमानों पर आधारित होती हैं जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं होता । नक्षत्र ज्ञान व सामुद्रिक शास्त्र ज्योतिष विद्या के मुख्य स्तम्भ माने जाते हैं जिनके द्वारा किसी भी इन्सान के भविष्य की जानकारी सरलता से प्राप्त करी जा सकती है । ज्योतिष का उदय भी इन दोनों के कारण ही हुआ है ।

ज्योतिष में नक्षत्र ज्ञान सूर्य की कक्षा में भ्रमण करने वाले ग्रहों की स्थिति का ज्ञात होना एंव उनके प्रभाव से इन्सान के जीवन में होने वाले कार्यों तथा  घटनाओं की जानकारी प्राप्त करने की विद्या है । ज्योतिष ने कुल नौ ग्रहों को इंसानी जीवन के लिए प्रभावशाली माना है तथा  इन नव ग्रहों की गणना से ही ज्योतिष की प्रत्येक भविष्यवाणी करी जाती है । ज्योतिष में सर्व प्रथम ग्रहों की स्थिति ज्ञात की जाती है जो वर्तमान में बहुत सरल कार्य है क्योंकि कम्प्यूटर ने ग्रहों की स्थिति स्पष्ट करने के अतिरिक्त ज्योतिष कुंडली बनाना तथा सभी प्रकार की गणना करना सरल कर दिया है । कोई भी कम्प्यूटर से अपनी ज्योतिष कुंडली सरलता से बना सकता है ।

नव ग्रह की गणना करना जितना सरल कार्य है ज्योतिष की भविष्य वाणी उतनी ही कठिन है क्योंकि ग्रहों का प्रभाव तथा उनकी शक्ति की परख हुए बगैर किसी भी प्रकार की भविष्य वाणी नादानी है । ग्रहों का प्रभाव इन्सान पर उनके द्वारा प्राप्त उर्जा से होता है तथा ग्रहों की दूरी व गति के कारण प्रतिपल उनके प्रभाव में परिवर्तन होता रहता है । हमारे सौर मंडल में सूर्य ही उर्जा का मुख्य श्रोत है जिसकी किरणें पूरे संसार को उर्जा प्रदान करती हैं परन्तु दूसरे ग्रहों से टकराकर किरणों के प्रभाव में परिवर्तन हो जाता है तथा उन्हें रश्मियाँ कहकर पुकारा जाता है । सभी ग्रहों की रश्मियों का प्रभाव भिन्न है जो इन्सान के शरीर व मस्तिक को प्रभावित करती हैं विभिन्न प्रभाव से इंसानी सोच व कार्य क्षमता भी विभिन्न प्रकार की होती है ।

सूर्य की उर्जा मस्तिक की याददास्त शक्ति को प्रभावित करती है इसी प्रकार चन्द्रमा मन को, मंगल भावनाओं को, बुध ग्रह बुद्धि को, गुरु विवेक को, शुक्र कल्पना शक्ति को, शनी इच्छा शक्ति को प्रभावित करते हैं । राहू केतु की नकारात्मक उर्जा सम्पूर्ण मस्तिक को प्रभावित करती है जो इन्सान के लिए संतुलित रूप में अति आवश्यक उर्जा है क्योंकि बुद्धि में नकारात्मक उर्जा ना हो तो किसी बुरे कार्य अथवा धोखे की परख करने की क्षमता नहीं होती जिसके फलस्वरूप कोई भी इन्सान मूर्ख बना कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकता है । बुद्धि मानसिक तंत्र में जानकारियां प्राप्त करने की मुख्य भूमिका अदा करती है इसलिए सभी ग्रहों में बुद्ध ग्रह का नैसर्गिक बल सदा समान रहता है बाकि सभी ग्रहों का नैसर्गिक बल प्रतिपल कम व अधिक होता रहता है । सभी उर्जाएं संतुलित हों तो इन्सान सुख पूर्वक जीवन निर्वाह करता है परन्तु उर्जाओं का असंतुलन जीवन नर्क समान बना देता है । ज्योतिष द्वारा भविष्य जानने का कार्य कुछ महान आविष्कारकों के कारण सफल हो सका जिन्होंने नक्षत्र ज्ञान प्राप्त करके ज्योतिष शास्त्र की रचना की तथा ग्रहों के प्रभाव से संसार को अवगत कराया ।

ज्योतिष का दूसरा आधार सामुद्रिक शास्त्र इन्सान की शरीर की बनावट तथा हस्त रेखा विज्ञान उसके भविष्य को ज्ञात करने की ज्योतिष विद्या है । सभी इंसानों के शरीर की बनावट तथा रेखाओं में स्पष्ट अंतर होता है जो ग्रहों से प्राप्त उर्जा के प्रभाव से है और रेखाओं को देखकर अनुमान लगाया जाता है कि किस ग्रह के प्रभाव से इस इन्सान पर होने वाला असर इसके जीवन को प्रभावित करके सफल होने में बाधा उत्पन्न कर रहा है । ज्योतिष से कारणों का पता लगाकर निवारण करने की किर्या इन्सान को सफल जीवन प्रदान करे इसलिए असफल इन्सान ज्योतिष द्वारा अपने भविष्य की जानकारी और निवारण के लिए प्रयास करते रहते हैं ।

इन्सान द्वारा अपने जीवन सुधार के लिए ज्योतिष का सहारा लेना स्वाभाविक कार्य है तथा इसके लिए वह ज्योतिषियों के चक्कर लगाता है जहाँ उसे सिवाय लूट के कुछ प्राप्त नहीं होता क्योंकि नब्बे प्रति शत ज्योतिष के नाम पर सिर्फ लूट होती है । कोई भी विद्या बेकार नहीं होती परन्तु उसकी सम्पूर्ण जानकारी के बगैर उसका प्रयोग गलत अंजाम देता है इसलिए किसी भी निर्णय के लिए सावधानी आवश्यक होती है । किसी कार्य की सफलता के लिए गलत प्रकार के ज्योतिष शास्त्रियों के चक्कर में फंसकर नुकसान उठाने से अच्छा है खुद पर तथा अपनी कार्य क्षमता पर विश्वास किया जाए क्योंकि ज्योतिषी सिर्फ कुछ कारणों का अनुमान लगा सकता है परन्तु कार्य एवं कार्य की सफलता इन्सान को अपने परिश्रम से ही प्राप्त करनी पडती है । ज्योतिष द्वारा भविष्य के विषय में ऐसा होगा सोचना या कहना उचित हो सकता है परन्तु ऐसा ही होगा यह कहना सर्वदा अनुचित है क्योंकि जो होगा वह सिर्फ प्राकृति को ज्ञात है किसी इन्सान का खुद को प्राकृति का ज्ञाता समझना मूर्खता का कार्य है ।

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इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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