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मूल्य पर सुविचार – mulya par suvichar

November 20, 2020 By प्रस्तुत करता - पवन कुमार Leave a Comment

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मूल्य पर सुविचार – mulya par suvichar :

जैसे पेड़ पौधों का मूल्य उसके फलों से होता है , धातुओं वह जीवों का मूल्य उसके उपयोग से होता है , उसी प्रकार इंसान का मूल्य उसके गुणों एवं प्रतिभा से होता है |

suvichar

मूल्य

March 27, 2016 By Amit Leave a Comment

किसी वस्तु या विषय की आवश्यकता एवं उसका महत्व ही उसका मूल्य कहलाता है । मूल्य संसार में आदान प्रदान का माध्यम है तथा मूल्य के आधार पर ही महत्व प्रमाणित होता है । मूल्य के कई प्रकार हैं जैसे साधारण होने पर साधारण मूल्य होता है व महत्वपूर्ण होने पर मूल्यवान कहा जाता है एवं अत्यंत महत्वपूर्ण को अमूल्य अर्थात अनमोल कहा जाता है । नाकारा अर्थात किसी भी कार्य में ना आना या बेकार होना बेमोल अर्थात जिसका कोई मूल्य नहीं होता कहा जाता है । संसार में जीवन निर्वाह की जो भी भौतिक वस्तुएं हैं सभी मूल्य के आधार पर प्राप्त होती हैं जिनका मूल्य किसी सामान या धन के रूप में चुकाना पड़ता है । वस्तुओं के अतिरिक्त जीवन निर्वाह के लिए अनेक प्रकार के विषय भी होते हैं जिनके आदान प्रादान का साधन भी मूल्य के आधार पर होता है जैसे शिक्षा. चिकित्सा, वकालत, किसी का कोई कार्य करना शारीरिक परिश्रम हो या बौद्धिक परिश्रम ऐसे अनेकों विषय हैं ।

संसार में भौतिक वस्तुओं का मूल्य अधिकतर निर्धारित होता है परन्तु इन्सान के लिए प्रत्येक वस्तु का मूल्य उसकी आवश्यकता के आधार पर होता है जैसे भूख के समय भोजन का अधिक मूल्य भी दिया जाता है परन्तु भूख ना होने पर मुफ्त में प्राप्त व स्वादिष्ट भोजन को भी खाने से इंकार कर दिया जाता है अर्थात मूल्य आवश्यकता के कारण ही होता है । वस्तु या विषय की तरह संसार में जीवों को भी मूल्य के आधार पर आदान प्रदान किया जाता है एवं इसी प्रकार इन्सान का भी मूल्य होता है जिसके अलग–अलग प्रकार हैं । इन्सान के मूल्यों में मुख्य पारिवारिक मूल्य एवं सामाजिक मूल्य होता है जो इन्सान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है तथा इन मूल्यों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है ।

इन्सान का पारिवारिक मूल्य परिवार में उसकी आवश्यकता के आधार पर होता है । जो इन्सान परिवार के साधारण कार्यों में सहायक होते हैं परिवार में उनका मूल्य साधारण होता है । जो इन्सान परिवार की आवश्यकता पूर्ति करते हैं एवं परिवार के सुख व समस्याओं का समाधान भी करते हैं अर्थात जो परिवार का भार अपने कंधों पर उठाते हैं परिवार में उन्हें मूल्यवान समझा जाता है । जो इन्सान परिवार को सुख व साधनों से सम्पन्न करने के साथ समाज में परिवार के सम्मान की वृद्धि भी करते हैं उन्हें परिवार में अमूल्य समझा जाता है । जो इन्सान परिवार में नाकारा होते हैं तथा किसी भी कार्य में सहयोग नहीं करते उन्हें बेमोल समझा जाता है । यदि इन्सान समाज में अपने बुरे व्यवहार या अनुचित कार्यों से परिवार के सम्मान को हानि पहुँचाता है उसे परिवार का कलंक समझा जाता है । यह इन्सान के पारिवारिक मूल्य की परिभाषा है ।

इन्सान का सामाजिक मूल्य समाज में व्यवहार, आचरण व कर्म के आधार पर प्राप्त सम्मान के अनुसार होता है । जो इन्सान सामाजिक सम्बन्धों का आदर करते हैं तथा अच्छे व्यवहारिक होते हैं समाज उनका सम्मान करता है व समाज में उनका साधारण मूल्य होता है । जो इन्सान समाज की भलाई एवं समाज सेवा का कार्य करते हैं उन्हें समाज में मूल्यवान समझा जाता है । जो इन्सान संसार व इंसानियत की भलाई के लिए नये-नये आविष्कार करते हैं तथा अपना जीवन समाज का मार्गदर्शन व परोपकार करने के लिए न्यौछावर कर देते हैं उन्हें समाज में अमूल्य समझा जाता है ऐसे इन्सान समाज में अति सम्मानित होते हैं । जो इन्सान समाज में अव्यवहारिक तथा भ्रष्टाचारी होते हैं उन्हें समाज में बेमोल समझा जाता है । जो इन्सान अपराधिक प्रवृति से समाज के लिए हानिकारक होते हैं उन्हें समाज में कलंक समझा जाता है तथा समाज ऐसे इंसानों से सिर्फ नफरत करता है ।

इन्सान परिवार के लिए जितना अधिक मूल्यवान होता है उसका जीवन उतना अधिक सुखदायक होता है क्योंकि सभी सदस्यों का प्यार एवं समर्पण तथा उनका सेवा भाव जीवन को खुशहाल बनाता है । परिवार के लिए मूल्यवान इन्सान के जीवन में यदि कभी कोई समस्या अथवा परेशानी आती है तो परिवार का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है तथा करने में सहायता प्राप्त होती है । जिन इंसानों का सामाजिक मूल्य होता है उनके जीवन में भी समस्या अथवा परेशानी से उबरने के लिए समाज सहायता प्रदान करता है । इन्सान को आर्थिक परेशानी के समय समाज द्वारा आर्थिक मदद उसके मूल्य के अनुसार प्राप्त होती है । समाज में जिस इन्सान का जैसा मूल्य होता है उसे समाज से उतना धन उधार के रूप में सरलता से प्राप्त हो जाता है । एक प्रकार से उधार इन्सान का सामाजिक मूल्य होता है जो उसके सम्मान के अनुसार प्राप्त होता है । संसार में इन्सान की जबान का भी अपना मूल्य है जो इन्सान अपना वादा समय पर पूर्ण करते हैं उनकी जबान का मूल्य होता है कभी-कभी इन्सान की सम्पदा से अधिक उसकी जबान का मूल्य होता है समाज द्वारा सम्पत्ति से अधिक उधार मिलना इस बात को प्रमाणित करता है ।

जीवन को खुशहाल व सफल बनाने के लिए इन्सान को अपने आप को मूल्यवान बनाना आवश्यक है जिसे बनाने के लिए सर्वप्रथम उसे अपना व्यवहार, आचरण व कर्म सुधारने आवश्यक होते हैं । इन्सान को मूल्यवान बनाने में शिक्षा की सर्वाधिक आवश्यकता होती है क्योंकि शिक्षा के बल पर ही कर्मों को गति प्रदान करी जा सकती है । शिक्षा इन्सान के गुणों एवं प्रतिभा में वृद्धि करती है परन्तु शिक्षा मात्र पढने से इन्सान प्रतिभाशाली नहीं बनता पढने के साथ शिक्षा को समझना भी आवश्यक है क्योंकि शिक्षा समझने से तथा विवेक द्वारा मंथन करने से ही इन्सान को ज्ञान की प्राप्ति होती है तथा ज्ञानी इन्सान समाज के लिए बहुत मूल्यवान होता है ।

इन्सान को अपना मूल्य समझना आवश्यक है यदि अपना मूल्य तथा मूल्य का महत्व ना समझा जाए तो जीवन बेमोल हो जाता है । वर्तमान में इन्सान परिवार से अलग एकाकी जीवन निर्वाह करना अधिक पसंद करता है जिससे परिवार में उसका मूल्य लगभग समाप्त हो जाता है तथा पारिवारिक मूल्यों में कमी आने से सामाजिक मूल्य भी लगभग समाप्त हो जाता है । इन्सान का परिवार व समाज में मूल्य समाप्त होने से यदि किसी समय कोई विपदा आती है तो ऐसी स्थिति में परिवार व समाज द्वारा किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती या ना के बराबर प्राप्त होती है । जीवन की कठिनाइयों से बचने एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए खुद को संसार में मूल्यवान बनाना अत्यंत आवश्यक है । संसार में प्रत्येक वस्तु व विषयों तथा जीवों तक का मूल्य है जो इन्सान संसार में बेमोल होते हैं उनका जीवन किसी भौतिक वस्तु या जीव से भी तुच्छ हो जाता है ।

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जीवन सत्यार्थ

इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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