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व्यवहार

April 26, 2014 By Amit Leave a Comment

vyavahar

कोई इन्सान किसी दूसरे इन्सान के प्रति अपने विचार प्रकट करता है तथा अपना भाव दर्शाता है एवं जिस प्रकार उसका आदर सत्कार करता है वह उसके द्वारा किया गया व्यवहार कहलाता है । व्यवहार इन्सान के मन का दर्पण है जिसमे उसकी मानसिकता तथा स्वभाव की स्थिति का ज्ञान होता है तथा इन्सान के व्यक्तित्व की पूरी झलक उसके द्वारा किये गए व्यवहार से ही स्पष्ट हो जाती है । इन्सान के पारिवारिक आचरणों एंव समृद्धि की भरपूर झलक भी उसके द्वारा किए गए व्यवहार से प्रदर्शित होती है तथा इन्सान के व्यवहार के आधार पर ही उसे समाज में सम्मान प्राप्त होता है और समाज द्वारा प्राप्त सम्मान ही उसके जीवन निर्वाह की बुलंदियां तय करता है । इन सभी कारणों से ज्ञात होता है कि इन्सान के लिए उसका दूसरे इंसानों व समाज के प्रति किया हुआ व्यवहार कितना मूल्यवान होता है ।

दूसरे इन्सान से किए गए व्यवहार के आधार पर ही उनके द्वारा व्यवहार किया जाता है इसलिए अपेक्षा के अनुरूप व्यवहार करना उचित निर्णय है । अभद्रता के बदले अभद्रता होगी तथा सम्मान करने से सम्मान प्राप्त होगा । इन्सान अपने स्वभाव को संसार में सबसे उच्च कोटि का सभ्य स्वभाव समझकर व्यहवार करता है जिसको भली भांति आकलन करने पर ही अपने स्वभाव की त्रुटियाँ ज्ञात होती हैं जिनके निवारण करने पर हम आकर्षक व्यक्तित्व के इन्सान बन सकते हैं । इन्सान के व्यवहार में अनेकों प्रकार की स्वभाविक त्रुटियाँ होती हैं जिनमे सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता होती है क्योंकि ना महसूस होने वाली यें त्रुटियाँ इन्सान के सामाजिक पतन का कारण बन जाती हैं ।

किसी की आलोचना करना इन्सान का ऐसा स्वभाव है जिसमें उसे किसी प्रकार की त्रुटी का अहसास नहीं होता और वह कहीं पर भी तथा कभी भी व किसी की भी आलोचना करना आरम्भ कर देता है । करी हुई आलोचना की जानकारी प्राप्त होने पर किस प्रकार का प्रभाव होगा तथा कितनी हानि हो सकती है इसका मंथन करने पर ही आलोचना करना उचित है । किसी पर भी तथा कहीं पर भी और किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना कभी कभी बहुत हानिप्रद साबित होता है इसलिए टिप्पणी करने की आदत का त्याग करना ही इन्सान के लिए अत्यंत लाभकारी है । किसी पर तथा किसी भी प्रकार का कटाक्ष उसे बुद्धिहीन होने का अहसास कराता है जो अव्यह्वारिक होने के साथ लड़ाई का कारण भी बन सकता है ।

इन्सान का विनोदी स्वभाव सभी को पसंद आता है परन्तु किसी के शोकग्रस्त होने पर उससे विनोदी वार्ता अथवा उस पर व्यंग करना उसके मन को आघात पहुंचाना है जिससे मन में वैस्म्न्य उत्पन्न होता है इसलिए व्यंग करने से पूर्व दूसरे इंसानों की मनोदशा ज्ञात करना भी आवश्यक है । व्यंग की तरह चापलूसी भी सभी को पसंद आती है परन्तु अत्याधिक चापलूसी करने वाले इन्सान को समाज में कभी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता इसलिए सम्मान का बलिदान करके चापलूसी द्वारा कार्य सिद्ध करना नादानी है । बात बात पर सलाह देना दूसरों की बुद्धिमानी पर आघात करना है जिसके कारण प्रत्यक्षी सलाह देने वाले को अहंकारी समझकर त्याग करने लगते हैं ऐसी स्थिति से बचने के लिए मांगने पर ही सलाह देना उचित है ।

किसी के वार्तालाप में लम्बे लम्बे भाषण देने से वार्तालाप गोष्ठी में बोरियत उत्पन्न हो जाती है जिसे वार्तालाप ना कहकर बकवास करना अधिक बेहतर होता है । वार्ता को लम्बा करके भाषण देने वाला इन्सान सभी को नापसंद होता है अत: भाषण जैसी स्थिति उत्पन्न होने से बचना उचित है । अधिकतर इन्सान वार्ता के समय अभद्र वाक्यों का प्रयोग करते हैं जिसके कारण उनकी समाजिक प्रतिष्ठा में हानि उत्पन्न होती है अत: वार्तालाप में अभद्र वाक्यों का प्रयोग होने का ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है । अपनी समस्याओं पर सभी से सलाह लेना अपनी कमजोर मानसिकता का प्रदर्शन करना है जिसका लाभ कोई भी शातिर इन्सान उठा सकता है इसलिए सलाह सोच समझकर बुद्धिमान तथा सभ्य इन्सान से ही करनी उचित होती है ।

किसी के पास जाकर उसके साथ अधिक समय व्यतीत करने के साथ यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि हम उसके कार्यों में अवरोध उत्पन्न ना कर रहे हों । अपना समय व्यतीत करने के लिए किसी से चिपक जाना व्यहवार नहीं चिपकूपन कहलाता है इसलिए दूसरों के समय का भी सम्मान करना आवश्यक है । किसी के द्वारा सहायता मांगने पर ही सहायता करनी उचित होती है बिना मांगे सहायता करना उसके कार्यों में दखल देना है तथा दूसरों के कार्यों में दखल देना उसकी दृष्टि में शत्रुता का कार्य करने के समान है । बातों में किसी को डांटना अथवा झिडक देना उसके मन को आघात पहुंचाना है जिसका परिणाम सदा अलगाव की स्थिति उत्पन्न करता है । उधार माँगना या मुफ्त माँगना अपनी सीमा में ही अच्छा रहता है प्रत्येक समय माँगने पर इन्सान को भिखारी की दृष्टि से देखा जाता है ।

व्यवहार इन्सान को सफलता प्राप्त करवाने अथवा उसके पतन का कारण बन जाता है इसलिए किसी से व्यवहार करते समय सभी प्रकार की संभावनाओं पर विचारिक मंथन करना बुद्धिमानी का परिचय है । अच्छा व्यहवारिक इन्सान समाज में अपनी जगह स्थापित करके सरलता से बुलंदियां प्राप्त कर लेता है । व्यहवार को दर्पण की भांति स्वच्छ रखने पर ही अपनी छवि साफ नजर आती है इसलिए जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यहवार करने का गुण सीखना आवश्यक है । मुख्य बात यह है कि जैसा व्यवहार अपने लिए पसंद हो वैसा ही व्यवहार दूसरों से करना उत्तम होता है ।

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जीवन सत्यार्थ

इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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