
बुद्धि पर सुविचार

जीवन सत्यार्थ
संसार में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जीवन है तथा जीवन संचालन के लिए अनेकों प्रकार के कार्यों को करना आवश्यक होता है जिसके लिए पृथ्वी पर उपलब्ध प्रत्येक प्राणी आवश्यकता अनुसार कार्य करता है वह चाहे उदर पूर्ति हो अथवा सन्तान उत्पन्न करना सभी प्रकार के प्राणियों में इन्सान के अतिरिक्त यह कार्य करने से उनका जीवन निर्वाह हो जाता है । इन्सान संसार में एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसे अपने जीवन निर्वाह के लिए अनेकों प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं क्योंकि इन्सान स्वयं उपार्जन करके ही अपनी उदर पूर्ति करता है वह दूसरे प्राणियों की तरह प्राप्त भोजन से संतुष्ट नहीं हो सकता । सभी प्राणी अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करते हैं तथा कार्य संचालन सभी प्राणियों का मस्तिक करता है जिसमे उनका मानसिक तंत्र सक्रिय होकर उन्हें कार्य करने के लिए प्रेरित करता है तथा कार्य सम्पन्न करवाता है । मानसिक तंत्र में विभिन्न प्रकार की किर्याएं होती हैं जिनको पृथक नामों से पुकारा जाता है जिनमे मस्तिक तंत्र की सर्व प्रथम तथा सर्वाधिक आवश्यक किर्या बुद्धि कहलाती है ।
संसार में इन्सान तथा अन्य प्राणियों के मानसिक तंत्र में अंतर होता है क्योंकि इन्सान का मानसिक तंत्र सात प्रकार की किर्याएँ करता है परन्तु अन्य प्राणियों का मानसिक तंत्र सिर्फ तीन प्रकार की किर्याएँ करता है । इन्सान के मानसिक तंत्र की सातों किर्याएं इस प्रकार हैं बुद्धि, मन, विवेक, कल्पना शक्ति, भावना शक्ति, इच्छा शक्ति तथा स्मरण शक्ति एंव अन्य प्राणियों के मस्तिक की तीन किर्याएं बुद्धि, मन तथा स्मरण शक्ति होती है क्योंकि अन्य प्राणियों का कल्पना, भावना, इच्छा शक्ति तथा विवेक से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं होता इसलिए उनका जीवन सीमित दायरे में व्यतीत होता है । इन्सान के अतिरिक्त सभी प्राणियों का मानसिक तंत्र जन्म के समय से ही पूर्ण विकसित होता है परन्तु इन्सान जन्म के समय अल्प बुद्धि तथा विकासशील मानसिक तंत्र वाला प्राणी है ।
इन्सान के जन्म के समय उसका मानसिक तंत्र अत्यंत अल्प कार्यरत होता है तथा उसमे सर्वप्रथम सक्रिय होने वाली किर्या बुद्धि होती है जिसका कार्य संसार की सभी जानकारियों को एकत्रित करना है । इन्सान का मस्तिक बुद्धि के द्वारा ही सभी प्रकार की जानकारियों को एकत्रित करता है तथा जानकारियां प्राप्त होने से ही मस्तिक का विकास आरम्भ होता है । बाल्यावस्था में बुद्धि तीव्रता से आस पास की सभी जानकारियों को एकत्रित करती है तथा समय के साथ बुद्धि की तीव्रता में गतिरोध उत्पन्न होने लगते हैं एंव बुद्धि द्वारा जानकारियों को एकत्रित करने की गति धीमी होने लगती है क्योंकि जानकारियां एकत्रित होने पर अन्य मानसिक शक्तियाँ सक्रिय होकर अपना अपना प्रभाव प्रदर्शित करने लगती हैं जिनसे प्रभावित होकर बुद्धि के कार्य में गतिरोध उत्पन्न होते हैं । मानसिक तंत्र की अन्य शक्तियों का उचित प्रकार से उपयोग ना किया जाए अथवा उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने दिया जाए तो वें इन्सान की बुद्धि का कार्य लगभग समाप्त करके उसे भ्रष्ट कर देती हैं ।
आदिकाल में संसार सिर्फ वनस्पति तथा प्राणियों की शरण स्थली मात्र था उसे आधुनिक काल तक पहुँचाने एंव संवारने का श्रेय इन्सान को जाता है क्योंकि संसार की प्रत्येक वस्तु इन्सान द्वारा निर्मित है जिसे इन्सान ने समय समय पर आवश्यकता अनुसार अपने बुद्धि कौशल द्वारा प्राप्त किया है । इस ब्रह्मांड में इन्सान ने जल, थल तथा वायु मंडल सभी स्थानों पर अपना प्रभाव तथा अधिपत्य स्थापित करके स्वयं को संसार का निर्माण कर्ता प्रमाणित किया है संसार के सभी कार्य इन्सान के मस्तिक द्वारा ही सम्पन्न हो सके हैं । संसार में इन्सान ने आवश्यकता तथा अपनी कामनाओं के आधार पर नित्य नए से नए आविष्कारों को जन्म दिया है तथा पृथ्वी पर असंख्य प्रकार की वस्तुओं का निर्माण कर भौतिक सुखों का अम्बार लगा दिया है ।
किसी भी नये तथा अद्भुत कार्य को करने से पूर्व उसकी सभी प्रकार की जानकारियां एकत्रित करना अनिवार्य होता है तथा व्यतीत समय की जानकारियों में संशोधन करके भविष्य की आधुनिक वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है । प्रत्येक इन्सान सभी प्रकार की आनन्द प्रदान करने वाली वस्तुओं का आलिंगन प्राप्त करने की कामना करता है परन्तु किसी भी नवनिर्माण में सहायक बनने का साहस नही जुटा पाता । संसार में मात्र कुछ इंसानों के प्रयासों के कारण ही आधुनिक उपकरणों का निर्माण हुआ है तथा समय समय पर होता रहता है आविष्कारकों के अतिरिक्त सभी इन्सान सिर्फ उपकरणों का उपयोग करते हैं । आविष्कारक इन्सान भी साधारण श्रेणी से ही उत्पन्न होते हैं तथा इसी संसार में शिक्षा ग्रहण करके अपनी बुद्धि के बल पर चमत्कार करते हैं क्योंकि वें अपनी बुद्धि के विकास के समय किसी प्रकार की अन्य बातों पर ध्यान नहीं देते एंव अपनी मंजिल प्राप्ति के प्रयास में मग्न रहते हैं ।
जीवन निर्वाह के लिए आजीविका उपार्जन करना आवश्यक है तथा उपार्जन के लिए तीव्र बुद्धि की आवश्यकता होती है क्योंकि बुद्धि द्वारा जितनी अधिक जानकारियां एकत्रित होंगी मस्तिक उतनी ही तीव्र गति से कार्य करता है जिससे जीवन निर्वाह के कार्यों में सरलता उत्पन्न होती है परन्तु बुद्धि विकास के लिए शिक्षा प्राप्ति आवश्यक है । प्रत्येक कार्य का समय निर्धारित होता है जिस प्रकार भोजन, आराधना, निद्रा वगैरह सभी का समय निश्चित है उसी प्रकार बुद्धि विकास के लिए शिक्षा ग्रहण करने का समय बाल्यावस्था से यौवन अवस्था तक निर्धारित होता है वैसे इन्सान जीवन भर जानकारियां जुटाता है परन्तु सर्वाधिक बुद्धि विकास का उचित समय यही होता है । समय व्यतीत होने पर जीवन भर पश्चाताप से उचित होता है कि प्रत्येक समय बुद्धि के विकास का ध्यान रखना तथा नित्य नई जानकारियां एकत्रित करके संसार के निर्माण में सहायक बनने का प्रयास करना ।
बुद्धि मानसिक विकास एवं जीवन संचालन का मुख्य आधार है इसलिए जीवन सरल बनाने के लिए बुद्धि का सदैव किर्याशील होना अनिवार्य है । मानसिक विकास के कार्य में अवरोध उत्पन्न होने का कारण इन्सान का ध्यान भटकना होता है क्योंकि किसी जानकारी को प्राप्त करते समय एकाग्रचित ना होने से वह जानकारी स्मरण शक्ति द्वारा एकत्रित नहीं करी जाती क्योंकि स्मरण शक्ति एक समय पर एक ही कार्य करती है तथा अन्य किसी विघ्न के कारण स्मरण शक्ति कार्य करना बंद कर देती है इसलिए बुद्धि द्वारा जानकारी प्राप्त करते समय एकाग्रचित होना अत्यंत आवश्यक है । एक सशक्त बुद्धिमान इन्सान ही जीवन में अपनी अभिलाषाएँ पूर्ण करने में सक्षम होता है ।