किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करने, साहस उत्पन्न करने, उत्साह में वृद्धि करने तथा हौसला बढ़ाने का कार्य प्रोत्साहन (protsahan) होता है | प्रोत्साहन (protsahan) इन्सान के लिए प्रेरणादायक विषय है | क्योंकि प्रोत्साहन (protsahan) से प्रेरित होकर ही इन्सान की मानसिकता में साहस की वृद्धि होती है तो वह उत्साह के साथ कार्य करता है | जिसके कारण कार्य के परिणाम भी उत्तम आते हैं | सामान्य मानसिकता में किए गए कार्यों के परिणाम भी सामान्य होते हैं | यदि कार्य को बोझ समझ कर किया जाए तो कार्य के परिणाम भी ओछे ही आते हैं | प्रोत्साहन (encourage) के विषय को समझना बहुत आवश्यक हैं क्योंकि यह इन्सान को अच्छाई के साथ बुराई के लिए भी प्रेरित करने का कार्य करता है |
प्रोत्साहन (encourage) प्रेरणादायक विषय होने के साथ अति संवेदनशील विषय भी है | क्योंकि कार्य अच्छा हो या बुरा प्रोत्साहन का कार्य सिर्फ हौसला बढ़ाना है ना कि कार्य की अच्छाई या बुराई की समीक्षा करना | इन्सान को अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहन देने से परिणाम श्रेष्ठ आते हैं | जिसके कारण उसके जीवन में समृद्धि आती है | जब इन्सान को बुरे कार्य के लिए प्रोत्साहित (encouragement) किया जाए तो वह बुराई के रास्ते पर चल पड़ता है जिसके परिणाम स्वरूप उसका जीवन संकट में पड़ जाता है | इन्सान को अच्छे कार्य से अधिक बुरे कार्य का प्रोत्साहन प्रभावित करता है क्योंकि अच्छा कार्य इन्सान स्वयं करने का प्रयास करता है परन्तु बुरे कार्य को करने में शर्म, संकोच एवं भय बाधा उत्पन्न करते हैं जो प्रोत्साहन देने पर हौसला बढ़ाकर इन्सान को बुराई के रास्ते पर धकेल देते हैं |
प्रोत्साहन ((protsahan)) इन्सान के जीवन में बचपन से ही आरम्भ हो जाता है जब माँ बाप उसे शिक्षा एवं उत्तम व्यवहार के लिए प्रोत्साहित (encouragement) करने का कार्य करते हैं | बचपन में ही दोस्त इन्सान को मनोरंजन, खेल एवं आवारागर्दी करने के लिए प्रोसाहित (boost) करने लगते हैं | आयु में वृद्धि के साथ माँ बाप अच्छे कर्म एवं संस्कारों के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि उसका जीवन समृद्ध एवं खुशहाल बन सके | इन्सान के दोस्त अच्छे कार्यों से अधिक बुरे कार्यों जैसे नशा, जुआ, अय्याशी अथवा अनुचित कार्य करके आनन्द प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं |
इन्सान को प्रोत्साहन (boost) देने के दो मुख्य आधार हैं लालच के द्वारा एवं प्रशंसा करके मनोबल में वृद्धि करना | माँ बाप सन्तान को खिलौने, टाफी, चोकलेट जैसे छोटे-छोटे उपहारों का लालच देने से आरम्भ करके आयु में वृद्धि के साथ बड़े-बड़े उपहारों के लालच से प्रोत्साहित करते हैं | दोस्त मनोरंजन के साथ नशे, अय्याशी जैसे आनन्द लेने एवं जुए अथवा अनुचित कार्यों के द्वारा अधिक धन सरलता से प्राप्त करने का लालच देकर प्रोत्साहन देने का प्रयास करते हैं | कभी-कभी दोस्त या अन्य कोई इन्सान अपनी जेब से धन खर्च करके भी नशे, जुए, अय्याशी करने के लिए प्रोत्साहित करता है |
इन्सान के अपने उसकी उन्नति के लिए उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की प्रशंसा करके उसे प्रोत्साहित करते हैं | ताकि वह और अधिक अच्छे कार्य करके सफलता प्राप्त कर सके | इन्सान के कार्यों की प्रशंसा करके उसका मनोबल बढ़ाने का कार्य उसके अपनों के अतिरिक्त अन्य इन्सान भी करते हैं जैसे खेलों के मैदान में खिलाडी के प्रशंसकों द्वारा तालियाँ बजाकर या नारे लगाकर हौसला अफजाई करना | बुरे कार्य करने वाले भी अपने साथियों की प्रतिभा की प्रशंसा करके उन्हें और अधिक बुरे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं | प्रशंसा अच्छे कार्य के लिए प्रेरित करती है तो बुरे कार्य के लिए भी प्रेरित ही करती है |
प्रोत्साहन के बुरे परिणाम से सुरक्षा के लिए आवश्यक है उसकी प्रक्रिया को समझना एवं प्रोत्साहन देने वाले की मानसिकता की समीक्षा करना कि प्रोत्साहित करने के पीछे उसका मकसद क्या है | माँ बाप सन्तान को प्रोत्साहन इसलिए देते हैं ताकि वह सफल बने तथा वृद्धावस्था में उनकी सेवा कर सके | दोस्तों के द्वारा प्रोत्साहन देने का कारण अपने लिए साथी बनाना है वह चाहे बुरे कार्यों का हो अथवा अच्छे कार्यों का | जो इन्सान अपनी जेब से धन खर्च करके दूसरों को नशा या अय्याशी करवाने कार्य करते हैं वास्तव में अपने लिए एक आसामी तैयार करते हैं ताकि वह उनके चक्रव्यूह में फंस जाए जिसका वह सदैव लाभ लेते रहें |
जिस कार्य के लिए इन्सान को प्रोत्साहन मिलता है उसके परिणाम की समीक्षा करना भी अनिवार्य है क्योंकि इन्सान के कार्य का वास्तविक भाव कार्य के परिणाम में छुपा होता है | जो भी अच्छे कार्य हैं जैसे शिक्षा, संस्कार, व्यवहार, कर्म, आचरण इनके लिए प्रोत्साहित करना उत्तम है क्योंकि यह सभी अच्छे कार्य हैं | नशा, जुआ, अय्याशी, अपराधिक कार्य अथवा आवश्यकता से अधिक मनोरंजन भी इन्सान के जीवन का विनाश करता है इनके लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ है शत्रुता के कार्य करना | जब कोई इन्सान बुरे कार्यों में लिप्त दिखाई दे तो समझ लेना उत्तम है कि उसे किसी ना किसी के द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है | जो इन्सान अपना धन खर्च करके दूसरों को आनन्द प्राप्ति का कार्य करता है वह हितैषी दिखाई अवश्य देता है परन्तु वास्तव में वह शत्रुता का कार्य करता है | किसी इन्सान या उसके परिवार का सर्वनाश करना हो तो उसके सदस्य को नशे, जुए, अय्याशी अथवा अपराधिक कार्य की लत लगा देने से वह स्वयं अपना एवं अपने परिवार का विनाश सरलता से कर देता है | इस पद्धति पर कार्य करने वाले अपनी जेब से धन खर्च करके भी इसी प्रकार की कार्य प्रणाली का उपयोग करते हैं | कभी-कभी अच्छे दोस्त भी अनजाने में बुरे कार्य की लत लगा देते हैं इसलिए आवश्यक है किसी भी प्रोत्साहन की अच्छे प्रकार से समीक्षा करने के पश्चात ही उसे स्वीकार किया जाए |