शब्द इन्सान के मानसिक तंत्र को जागृत करके किर्यशील करते हैं तथा शब्दों के आदान प्रदान द्वारा ही इन्सान के जीवन में सक्रियता उत्पन्न होती है । किसी विषय की सम्पूर्ण व्याख्या का सूक्ष्म सार जो चंद शब्दों में निर्मित हो तथा वह इन्सान के मानसिक तंत्र में उर्जा प्रवाहित करने में सक्षम हो उसे मंत्र कहा जाता है । सभी शब्दों का अपने स्थान पर पूर्ण महत्व है परन्तु शब्द इन्सान के मस्तिक पर विभिन्न प्रभाव उत्पन्न करते हैं जैसे अपशब्द उपयोग करने पर मन में विषैलापन तथा जिव्हा पर कड़वाहट आती है एवं अपशब्द सुनने वाले के मस्तिक में आक्रोश, उच्च रक्तचाप व शरीर में तनाव उत्पन्न हो जाता है जो झगड़े का कारण बनता है । सभ्य व मधुर शब्दों का उच्चारण मन प्रसन्न करता है तथा सुनने वाला आत्म विभोर होकर आनन्द महसूस कर प्रेम पूर्वक स्वागत करता है । सभ्य व मधुर शब्दों के उच्चारण से किसी भी इन्सान को प्रभावित करके अपना कार्य सफलता पूर्वक सिद्ध किया जा सकता है । इसी प्रकार मंत्र इन्सान के मानसिक तंत्र में उर्जा का संतुलन बनाकर उसे शांति प्रदान करते हैं तथा मानसिकता को प्रबल करके कार्य सम्पन्न करने में सक्षम बनाते हैं ।
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है जिसमे उपयुक्त अक्षरों का निर्माण वैज्ञानिक आधार पर हुआ है । संगीत के सात सुर हिंदी वर्णमाला से सीधा सम्बन्ध रखते हैं जैसे क, ख, ग, घ, ङ में जिव्हा मुंह के मध्य एक प्रकार से ही कार्य करती है तथा प, फ, ब, भ, म के उच्चारण में सिर्फ होंटो के द्वारा ही उच्चारण होता है एंव त, थ, द, ध, न के उच्चारण में जिव्हा द्वारा तालू का स्पर्श होता है अर्थात हिंदी वर्णमाला सात प्रकार से जिव्हा व होंटों तथा जबड़े का प्रयोग करके सात सुरों में परिवर्तित हो जाती है । जैसे वैज्ञानिक आधार से हिंदी का निर्माण किया गया उसी प्रकार मंत्र निर्माण भी वैज्ञानिक आधार पर ही हुआ है । मंत्र निर्माण कर्ताओं ने मंत्रों के प्रभाव का ध्यान रखकर ही मंत्र निर्माण किया है ।
मंत्र निर्माण ऋषि मुनि कहे जाने वाले महान आविष्कारकों द्वारा शब्दों की उर्जा शक्ति की पहचान करके तथा मंत्र के प्रभाव से मानसिक तंत्र में होने वाले परिवर्तन का ध्यान करके निर्मित किये गए । परन्तु जो इन्सान अपनी समझ के अनुसार मंत्र को अद्भुत करिश्मा समझकर मंत्र का उपयोग करते हैं वें नादानी का परिचय देते हैं क्योंकि मंत्र कोई अद्भुत करिश्मा नहीं हैं यें शब्दों की महत्वपूर्ण शैली के कारण निरंतर उच्चारण करने पर शब्दों की प्रबलता के अनुसार उनसे सम्बन्धित उर्जा संचय करके मानसिक तंत्र में प्रवाहित करने की क्षमता रखते हैं । मंत्रों द्वारा मानसिक तंत्र की उर्जा में संतुलन इन्सान की सोच बदलने में सक्षम होता है तथा समर्थ मानसिकता ही इन्सान को जीवन में सफल बना सकती है ।
एक साधारण बीज पोषण प्राप्त करके विशाल वृक्ष के रूप में उत्पन्न होकर संसार को फल प्रदान करता है उसी प्रकार छोटा सा बीज मंत्र निरंतर जाप करने पर सम्बन्धित उर्जा द्वारा सुदृढ़ मानसिकता प्रदान करता है । जिस प्रकार आम का वृक्ष आम ही उत्पन्न कर सकता है कोई दूसरा फल उत्पन करने की क्षमता नहीं रखता है उसी प्रकार मंत्र भी अपने शब्दों के अनुरूप ही उर्जा प्रदान करने की शक्ति रखता है । जिस प्रकार बीमार मनुष्य को स्वस्थ करने के लिए बीमारी के अनुसार कार्य करने वाली दवा दी जाती है उसी प्रकार संतुलित मानसिकता के लिए कमजोर उर्जाओं की वृद्धि करने की क्षमता रखने वाले मंत्र का प्रयोग ही सफलता प्रदान कर सकता है । आवश्यकता के बगैर मंत्र उच्चारण करना सिर्फ अपना समय बर्बाद करना है इसलिए उचित मंत्र ज्ञात करना अति आवश्यक होता है ।
इन्सान पर माता पिता के अतिरिक्त सबसे अधिक प्रभाव जन्म के समय गर्भ से बाहर आते ही वातावरण में उपलब्ध सभी ग्रहों की उर्जाओं का होता है जो ग्रहों के नैसर्गिक बल के तथा दूरी व समय के अनुसार कम या अधिक एवं सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं । उत्पन्न प्रभाव के कारण इन्सान की मानसिकता में उर्जाओं का अभाव व अधिकता होती है जिसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए नक्षत्र ज्ञान सबसे सरल उपाय है । जन्म के समय प्राप्त उर्जा संचय करने की क्षमता निर्धारित होकर सम्पूर्ण जीवन इन्सान की मानसिकता पर असरकारक होती है जिसके संतुलन के लिए मंत्र शक्ति का उपयोग करके कमजोर उर्जाओं में वृद्धि करी जा सकती है , इसलिए आवश्यक मंत्र की जानकारी प्राप्त करने पर ही मंत्र का जाप करना सफलता प्राप्ति के लिए उचित रहता है ।
किसी कार्य की सफलता के लिए उसकी कार्य शैली बहुत महत्वपूर्ण होती है इसलिए मंत्र की प्रबलता के लिए मंत्र जाप करने की विधि सीखना भी बहुत महत्व रखती है जिसे जाप नामक लेख में पढकर सीखा जा सकता है । उचित मंत्र की जानकारी के लिए किसी अनुभवी इन्सान की सहायता लेनी आवश्यक है परन्तु यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि जिस इन्सान से मंत्र की उचित जानकारी लेनी है वह लोभी या कपटी ना हो । लोभी या कपटी इन्सान उचित मंत्र तो नहीं बताते परन्तु जेब अच्छी तराशते है इसलिए सावधानी आवश्यक होती है तथा किसी भी मंत्र का उच्चारण स्वयं करने से ही प्रभाव होता है किसी अन्य इन्सान से मंत्र जाप करवाने से किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं होता सिर्फ मूर्खता होती है ।