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इंसान

April 26, 2014 By Amit Leave a Comment

insan

पृथ्वी पर वनस्पति तथा जानवरों के उपरांत संसार का सबसे अद्भुत एंव महत्वपूर्ण एकमात्र प्राणी जिसने अपनी मानसिक शक्तियों के बल पर प्राकृति को अपनी इच्छा अनुसार रूप प्रदान किया उस प्राणी को इन्सान की संज्ञा दी जाती है । इन्सान पृथ्वी पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो जन्म के समय अत्यंत अल्प बुद्धि प्राणी है परन्तु इन्सान की बुद्धि में विकासशीलता की गति बहुत अधिक तीव्र होती है और इन्सान की बुद्धि के विकास करने की कोई अंतिम सीमा निर्धारित नहीं होती । इंसान का आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक का विकास करने का सफर अत्यंत रोचक है क्योंकि इन्सान ने इस संसार को ऐसा अद्भुत रूप प्रदान किया जिसकी कल्पना करना भी आश्चर्यजनक कार्य है ।

पृथ्वी पर आदिकाल के समय प्राकृति द्वारा प्रदान किये गए जीवन और जीवित रहने के मुख्य आधार वायु, जल, उर्जा तथा भोजन के अतिरिक्त कोई भी वस्तु उपलब्ध नहीं थी तब से लेकर वर्तमान समय तक इन्सान निरंतर प्रयास रत रहकर पृथ्वी को आधुनिक रूप प्रदान करने में लगा हुआ है । इन्सान द्वारा किये गए अनगिनत अविष्कार संसार का आधुनिकीकरण करने में इन्सान की सफलताओं की कहानियां प्रस्तुत करते हैं जिन्हें इन्सान ने अपने बुद्धि कोशल द्वारा प्राप्त किया । इन्सान का मानसिक तंत्र ऐसा अनोखा तंत्र है जिसके बल पर इन्सान किसी भी प्रकार के तथा कैसे भी कार्य को सफलता पूर्वक एवं सरलता से अंजाम दे सकता है ।

सर्व प्रथम इन्सान द्वारा अन्न उपजाने के कार्य करने से आरम्भ करते हुए घर बनाकर बस्तियों का निर्माण किया गया उसके पश्चात इन्सान ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भिन्न भिन्न प्रकार के साजो सामान एंव संसाधनों का निर्माण किया । पृथ्वी का सीना चीर कर उसमे से अनेकों प्रकार की धातुओं का खनन करना और प्राप्त धातुओं से वस्तुओं का निर्माण करना तथा पृथ्वी से भांति भांति के रसायनों को प्राप्त करना एवं उन रसायनों के द्वारा अपनी आवश्यकता अनुसार कार्य लेना इन्सान की मानसिक शक्ति का प्रमाण है । भौतिक संसाधनों के अतिरिक्त प्राकृति के रहस्यों की खोज करना भी इन्सान का आवश्यक कार्य रहा है ।

इन्सान द्वारा किये गए विभिन्न वस्तुओं के आविष्कारों के अतिरिक्त समाज बनाना तथा समाज के नियम बनाना एवं वार्तालाप के लिए भाषा निर्माण व शिक्षा पद्धति का निर्माण करने तथा प्राणियों की आंतरिक रचना का ज्ञान प्राप्त करने और शरीरिक बिमारियों पर विजय प्राप्त करने जैसे महान एंव कठिन कार्यों को सफलता पूर्वक किया गया । ब्रह्मांड की रचना तथा उसके रहस्यों को खोजना एवं अन्य ग्रहों तक पहुंचना इन्सान द्वारा किये गए आश्चर्यजनक कार्य हैं । परन्तु जब एक वर्ग संसार को आधुनिक सामान से सजाने का कार्य कर रहा था तो कुछ इंसानों का वर्ग अन्य इंसानों को सताने व उन्हें भयभीत करके लूटने और उनपर अधिकार करके उन्हें अपनी शक्ति का अहसास कराने जैसे मूर्खतापूर्ण और अपराधिक कार्यों को अंजाम देने में लगा हुआ था ।

इंसान

इन्सान के अत्याचारों व अपराधों की कहानी भी आदिकाल से वर्तमान समय तक सफर करते हुए साथ साथ आधुनिकता ग्रहण किए हुए उपलब्ध है । बीते समय में अपराधिक प्रवृति के इन्सान सभ्य व भोले इंसानों को ढीटता पूर्वक सताते व लूटते थे उसका आधुनिकीकरण अवश्य हुआ है परन्तु वर्तमान में सताना व लूटना जारी है । चोरी जैसे कार्यों का नवीनीकरण करके साइबर क्राइम जैसे कार्य करना तथा झूठे वायदों से सामूहिक लूट को अंजाम देने के लिए कम्पनी बनाकर फंसाना आधुनिक प्रकार की लूट है ।

सभ्य समाज का ढोंग करने वाले इन्सान वर्तमान में भी कितने असभ्य तथा जंगली हैं इसका प्रमाण इन्सान द्वारा किये गए बलात्कार जैसे घिनौने व जघन्य अपराधों से प्रमाणित होता है जहाँ छोटी शिशु जैसी बालिकाओं से भी बलात्कार करने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है । अप्राकृतिक सम्भोग व समलैंगिक सम्भोग करना और उसे कानूनी मान्यता प्रदान करने की वकालत करना इन्सान की मानसिकता दर्शाता है । जिस बलात्कार जैसे कार्य तथा अप्राकृतिक व समलैंगिक सम्भोग जैसे कृत्य को संसार के किसी भी जानवर द्वारा नहीं किया जाता ऐसे कृत्य करके इन्सान खुद को सभ्य साबित करने की कोशिश करता है । नशा करना और नशे के विभिन्न प्रकार के पदार्थों का निर्माण करना इन्सान की सभ्यता का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं ।

कुछ इन्सान प्राकृति के सहारे लक्ष्य रहित जीवन व्यतीत करते हैं उनका जीवन शांति पूर्ण और संतोषी होता है । कुछ इन्सान जीवन में लक्ष्य निर्धारित करके लक्ष्य प्राप्ति के लिए पुरजोर कोशिश को अंजाम देते हैं उनका जीवन संघर्ष पूर्ण होता है । लक्ष्य प्राप्त हो अथवा ना हो संघर्ष करना ही लक्ष्य प्राप्ति का आधार है । कुछ इन्सान अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते परन्तु प्राप्ति अधिक से अधिक करना चाहते हैं उनकी कामना संसार पर अधिकार करने के समान होती है ऐसे इंसानों का जीवन भटकाव के अतिरिक्त कुछ नहीं दे सकता । इन्सान को सब्र ही शन्ति प्रदान करता है अथवा जीवन सिर्फ भटकने के लिए रह जाता है ।

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जीवन सत्यार्थ

इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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