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अहसास

June 14, 2014 By Amit Leave a Comment

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आधुनिकता की दौड़ में इन्सान के ऐशो आराम के लिए उपलब्ध कीमती साजो सामान व संसाधन और इन संसाधनों को प्राप्त करने की हार्दिक कामना करता इन्सान कोई भी एवं कैसा भी कार्य करने पर उतारू है । जल्द से जल्द व अधिक से अधिक प्राप्त करने की इच्छा में कोई भी तथा कैसा भी तरीका आपनाने को तैयार हो जाता है । कुछ इन्सान गलत रास्ता अपनाकर अपराध की राह पर चल पड़ते हैं तथा वह समाज, इन्सान, परिवार, रिश्ते किसी की भी परवाह नहीं करते जिसकी वजह से शरीफ एवं सभ्य इन्सान परेशानी में पड़ जाते हैं । अपने साथ होने वाले अपराधों में यह समझ आने तक की कौन अपराधी हो सकता है वह लुट चुका होता है एंव कभी कभी तो जान तक गवाँ देता है । समाज में लूटने वालों की कोई कमी नहीं कुछ तो परिवार के सदस्यों के हाथों ही लुट जाते हैं भाई भाई को लूट रहा है नौकर मालिक को लूट रहा है ऐसे समय में सावधानी रखना आवश्यक हो गया है । कोई भी अपराध होने से पूर्व यदि इन्सान ध्यान दे तो उसे घटना की आहट अर्थात अहसास अवश्य हो सकता है क्योंकि अपराधी घटना को अंजाम देने से पूर्व उसकी रूप रेखा अवश्य तैयार करता है । अपराधी द्वारा रूप रेखा का जायजा लेते समय वह हमारे आस पास ही होता है तथा उसकी भाव भंगिमाए उस समय नित्य कार्य से पृथक होती है जिन्हें ध्यान पूर्वक देखा जाये तो होने वाली घटना का अहसास अवश्य हो जाता है ।

जब तक किसी चोर को यह जानकारी प्राप्त नहीं होती कि इस घर में अधिक धन है वह चोरी नहीं करता तथा किसी जेबकतरे को यह पता नहीं चलता कि किसकी जेब में धन है वह जेब नहीं काटता । यह सब हमारी असावधानी या हमारे आस पास के इन्सान की मूर्खता या शरारत होती है जिससे चोर लुटेरों को जानकारी प्राप्त होती है । कुछ ऐसे इन्सान भी होते हैं जो अपनी शान बघारने के चक्कर में खुद चोरों को दावत दे बैठते हैं तथा फिर लुट गया लुट गया का शोर मचाते हैं ऐसे इन्सान सिर्फ हास्य का पात्र बन कर रह जाते हैं ।

यदि हमारे आस पास के इन्सान व हमारे मित्र वगैरह या नौकर व परिवारिक सदस्य भी रोज मर्रा की आदतों के विपरीत कोई कार्य करते हैं तो निसंदेह किसी घटना की आहट होती है । यदि किसी की वाणी में अधिक मधुरता आती है या वह चापलूसी पूर्ण बातें एंव प्रशंसा करता है तो उसे कोई न कोई कार्य करवाना होता है या वह किसी न किसी प्रकार मूर्ख बनाने में लगा होता है । अकस्मात कटाक्ष करने वाली भाषा भी किसी कारण का अहसास है । द्रष्टि चुराना या किसी तरफ अधिक द्र्ष्टिपात करना भी कारण वश होने वाला कोई कार्य ही होता है इसको नजर से चूकने देना भी नुकसानदेय होता है । कभी कभी अपराधी परिवार के किसी बच्चे अथवा सदस्य की नादानी का लाभ उठाकर भी घर की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर लेते हैं ।

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एकाग्रता से किसी भी अनजानी घटना की हर आहट का पता लगाना सरल कार्य है अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य व नौकर की सभी हरकतों को ध्यान पूर्वक देखना आवश्यक है । यदि कोई इन्सान अचानक जीवन में प्रवेश करके विभिन्न प्रकार के प्रलोभन या सुनहरी भविष्य के स्वप्न दिखाने की कोशिश करता है तो आवश्यकता होती है अत्यंत सावधानी की क्योंकि संसार में मुफ्त कोई इन्सान किसी को कुछ नहीं देता तथा यदि वह इतना ही बुद्धिमान है एवं उसे तरक्की के इतने रास्तों की जानकारी है तो वह अपनी या अपने परिवार की तरक्की त्यागकर हमारे भविष्य को सुधारने क्यों आएगा ? यह आहट हमारे अहसास को जगाने के लिए है की जीवन में कोई अनहोनी घटना होने वाली है ।

मित्र अथवा प्रियवर के व्यहवार में आई मधुरता या बेचैनी को मन में अहसास करना आवश्यक होता है क्योंकि कोई भी इन्सान कब मन में लालच कर बैठे यह आवश्यक नहीं कि हमे पता चले । नुकसान सदा समीप का तथा प्रियवर ही कर सकता है पराया इन्सान विस्वास जीत कर ही नुकसान कर सकता है अपना कहलाने वाला इन्सान तो कभी भी नुकसान कर सकता है । इसलिए आवश्यक है कि अहसास करने की क्षमता को सदा एकाग्रता से पोषित करने की जो इन्सान सावधान व अह्सासपूर्ण एकाग्रचित होते हैं उनका ध्यान भटकाना और उन्हें मूर्ख बनाना सरल कार्य नहीं होता एवं अपराधी कठिन कार्य नहीं करते ।

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इंसान के जीवन में जन्म से मृत्यु तक के सफर में तृष्णा, कामना तथा बाधाएं उत्पन्न होकर मानसिकता में असंतोष तथा भटकाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं जिससे जीवन कष्टदायक व असंतुलित निर्वाह होता है। जीवन सत्यार्थ ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा सत्य की परख करके कष्टकारी मानसिकता से मुक्ति पाकर जीवन संतुलित बनाया जा सकता है। पढने के साथ समझना भी आवश्यक है क्योंकि पढने में कुछ समय लगता है मगर समझने में सम्पूर्ण जीवन भी कम हो सकता है और समझने से सफलता प्राप्त होती है।

प्रस्तुत कर्ता - पवन कुमार

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